बुधवार, 5 सितंबर 2012

(लघु कथा) जंगल





वह जंगल में कहीं खो गया था.
जंगल बहुत घना था और रात का अंधेरा घि‍रने को था, दि‍न का उजाला कम हो रहा था. उसे हर तरह के जंगली जानवरों का भी डर था. उसके पास अपना बचाव करने को कुछ नहीं था.

उसने तय कि‍या कि‍ उसे इन हालात से बच नि‍कलने के लि‍ए ठंडे दि‍माग़ से सोचना होगा. वह एक जगह बैठ गया और उसने फ़ैसला कि‍ उसके बचने का एक ही रास्‍ता है और वह है, कि‍सी भी एक दि‍शा में चल नि‍कलना...
तभी उसकी नींद खुल गई.

उसे लगा कि‍ उसके जीवन में भी यही एक ही रास्‍ता है.

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