गुरुवार, 26 जनवरी 2012

(लघु कथा) एण्ड द अवार्ड गोज़ टू…



एक बार, टेलीविज़न चैनलों के सीरियलों की रेटिंग नापने के लिए एक अवार्ड-शो हुआ. बाक़ी अवार्ड तो ख़ैर अपनी जगह, लेकिन सर्वश्रेष्ठ नायिका का अवार्ड सीरियल के संगीतकार को देने की घोषणा हुई तो हपड़-धपड़ मच गई. पहले तो लोगों को लगा कि अनांउसर ने खेल कर दिया होगा. पर पता चला कि उसने ठीक पढ़ा था तो लगा कि लिखने वाले ने ग़लती कर दी होगी, पर उसने बताया कि लिखा भी वही है जो उसे बताया गया था. सीरियल के बाबा लोग जज बाबू के पास पहुंचे. जवाब मिला –‘देखो  भई, तुम्हारे सीरियल की हीरोइन की तो पहचान ही इसलिए बनी है कि वो जब भी वह कुछ बोलती है तो पीछे से म्यूज़िक आता है ढैं-ढैं. और जब भी वह इधर-उधर घूमती है तो तीन बार जुड़वां म्यूज़िक आता है ढैं-ढैं, ढैं-ढैं, ढैं-ढैं.’ अवार्ड-शो फिर आगे चल पड़ा.
00000

2 टिप्‍पणियां: