सतयुग में एक भगवान जी थे और एक थीं उनकी
पत्नी. पत्नी एक दिन वन में विचरण कर रही थीं कि एक सर्प ने उन्हें डस लिया.
अब क्योंकि वे भगवान की पत्नी थीं सो सर्प का विष उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता
था. लेकिन सर्प को उसकी धूर्तता का दण्ड दिलाने के लिए उन्होंने भगवान का स्मरण
किया.
भगवान बहुत क्रोधित हुए. और उन्होंने सर्प
को श्राप दे दिया –‘जा, तू और तेरी सभी भावी पीढ़ियां केवल कलियुग में ही जन्म
ले सकेंगी.’
सतयुग, द्वापर और त्रेता बीत जाने के बाद अब
कहीं जाकर वे हताश सर्प कलियुग में नेता
बन कर आने लगे हैं.
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bahut badhiyaa aapke cartoon jaise
जवाब देंहटाएंवाह अति उत्तम और सटीक
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (17-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
अति उत्तम और सटीक|
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन सटीक व्यग,,,,
जवाब देंहटाएंफालोवर बन गया हूँ आप भी बने तो खुशी होगी,,,
RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
काजल जी तुसी छा गए गुरु...
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