बचपन में एक कविता पढ़ी थी - 'बड़ा कौन है मुझे बताओ ,क्या जो हाथी पर चढ़ता है . या जो अपना दोष सफ़ाई से दुसरों के सिर मढ़ता है .' - अब लगने लगा है कि जो ऐसा कर सकता है ,सचमुच वही बड़ा है .
किसको छोटा किसे बड़ा कीजे. सब बराबर है अब मज़ा कीजे
बलग़मी है सिफत बलागों की, थूंक कर साफ़ अब गला कीजे. - See more at: http://mansooralihashmi.blogspot.com/search?q=%E0%A4%AC%E0%A5%9C%E0%A4%BE+%E0%A4%95%E0%A5%8C%E0%A4%A8+#sthash.649HowPB.dpuf
वाह वाह...
जवाब देंहटाएंबढ़िया ग़ज़ल.......
पैनी कलम है...चाहे शब्द हों चाहे कार्टून.....
:-)
अनु
वाह! ग़ज़ल पढ़कर
जवाब देंहटाएंहम अवाक खड़े है !!!
शानदार कूची चली है
जवाब देंहटाएंरचना नशा सर चढ़े हैं
बहुत सुंदर लिखते हैं आप ! बहरहाल भावनात्मक स्तर पर हमें जो खटक रहा है उसे भी दर्ज़ कराना ज़रुरी है :)
जवाब देंहटाएंदोगुना जमीन पे गड़े होने के बावजूद बैसाखियों पे खड़े होना ? (1 विरुद्ध 2 )
जो बड़े (शायद ज्यादा अनुभवी / आदमकद का बड़प्पन?) हैं वो छोटों (कम अनुभवी ?) की सुने क्यों (1 विरुद्ध 3 )
माने लड़ंकों / झगड़ालुओं से खौफ खाओ ? और शांत प्रकृति लोगों को भयभीत करो, धोबी और गधे वाली कहावत (4)
हर हालात पे बला की जिद है , शायद अपनी मुर्गी की डेढ़ टांग जैसा (5)
वाह !
जवाब देंहटाएंबचपन में एक कविता पढ़ी थी -
जवाब देंहटाएं'बड़ा कौन है मुझे बताओ ,क्या जो हाथी पर चढ़ता है .
या जो अपना दोष सफ़ाई से दुसरों के सिर मढ़ता है .'
- अब लगने लगा है कि जो ऐसा कर सकता है ,सचमुच वही बड़ा है .
बेहतरीन पंक्तियाँ ...
जवाब देंहटाएंकिसको छोटा किसे बड़ा कीजे.
जवाब देंहटाएंसब बराबर है अब मज़ा कीजे
बलग़मी है सिफत बलागों की,
थूंक कर साफ़ अब गला कीजे.
- See more at: http://mansooralihashmi.blogspot.com/search?q=%E0%A4%AC%E0%A5%9C%E0%A4%BE+%E0%A4%95%E0%A5%8C%E0%A4%A8+#sthash.649HowPB.dpuf
कल 23/03/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
Shero Shaayari mein bhi aap shouk farmaate hain, maaloom na tha. Sundar.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंkutta kisi ka nahaye dudh me,
जवाब देंहटाएंbachha kisi ka pyas se mare.
mere blog pe bhi aayen,muskurayen....
जवाब देंहटाएंmere blog pe bhi ayen muskurayen.
जवाब देंहटाएंwww.skyfansclub.blogspot.com