
न जाने भाग्य में क्या
बदा था कि, एक दिन, राजकुमारी बीमार पड़ गई. राजवैद्य ने हर प्रयास कर देख लिया,
राज्यभर से हर तरह के दूसरे वैद्य भी बुलाए गए पर राजकुमारी की बीमारी का हल न निकला.
राजकुमारी की हंसी न जाने कहां खो गई थी. वह उदास रहने लगी. उसकी खिलखिलाहटें
जाती रहीं. वह अब खेलती भी न थी. उसे खाने-पीने में भी रूचि न रही, उसकी भूख तो
जैसे सदा के लिए ही मर गई थी. महल में खिन्नता छाई रहने लगी, राज्य में अब उत्सव
भी न होते थे. चारों ओर बस उदासी ही उदासी दिखई देती थी. राज्य की प्रजा दुखी थी.
एक दिन राजकुमारी महल
में, कमरे की खिड़की के पास बैठ उदास नजरों से यूं ही बाहर देख रही थी कि अचानक,
हवा का एक ठंडा सा झोंका आया और तभी उसने देखा कि बाहर बगीचे में उसके ही जैसी एक
छोटी सी बच्ची हाथ में फूल लिए हंसते-खिलखिलाते तितलियों के पीछे भाग-दौड़
रही है. राजकुमारी ने आंखें बंद कर लीं और उसने एक गहरी सांस ली. उसके चेहरे पर एक
हल्की सी मुस्कान तैर गई. अगले ही पल उसने आंखें खोलीं तो उसके चेहरे पर पहले सी
ही खुशी लौट आई थी.
यह ख़बर महल और प्रजा
में आग की तरह फैल गई. राज्यभर की खुशियां लौट आई थीं.
00000
:)
जवाब देंहटाएंहमारी पोती भी उदास रहने लगी अपने मम्मी से कहती मुझे खेलने के लिए भाई चाहिए आप दोनों (मम्मी और पापा) खूब प्यार करो न तो बच्चा हो जायेः
जवाब देंहटाएंकुछ माह पूर्व एक लड़के ने जनम लिया अब पोती खुश है
हे भगवान
हटाएंआप तो राजा का राजपाट ही बंटवाने की सलाह दे रहे हैं :(
सुखंड अंत ..अच्छी लघु कथा
जवाब देंहटाएंखुशियां एक से दूसरे तक यूँ ही फैलती हैं!
जवाब देंहटाएंबच्चों को बच्चे ही चाहिए साथ
जवाब देंहटाएं😊
जवाब देंहटाएंNice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us.. Happy Independence Day 2015, Latest Government Jobs. Top 10 Website
जवाब देंहटाएंखुशियाँ बाँटने से दुगनी हो जाती है, राकुमारी ने खुशियाँ पा ली।
जवाब देंहटाएंऔर वह छोटी बच्ची उस सुगन्धित फूलवाड़ी से स्वछन्द सुगंध पसरित करती अदृश्य हो गई।
खुशियाँ बाँटने से दुगनी हो जाती है, राकुमारी ने खुशियाँ पा ली।
जवाब देंहटाएंऔर वह छोटी बच्ची उस सुगन्धित फूलवाड़ी से स्वछन्द सुगंध पसरित करती अदृश्य हो गई।
पुरानी कहानी को नये लुक में अद्भुत प्रस्तुतिकरण
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