श्रीसंत तेरा ये आत्मबलिदान कभी व्यर्थ न जाएगा. तू पकड़ा क्या गया, देश भर
की जंग लगी पुलिस की नसों में तूने ख़ून भर दिया कि -‘हयं ! हमारे इलाके से कोई सट्टेबाज़ नहीं पकड़ा
गया अभी तक ?’ और देखते ही देखते थानों में आपाधापी होने लगी
है. ऐसे लगता है कि थाने-थाने ही नहीं बल्कि सिपाही-सिपाही के हिसाब से
सट्टेबाजों को ढूंढ-ढूंढ कर छापे मारने के टेंडर उठा दिए गए हैं.
अब, हर थाने की पुलिस गली-गली कूचे-कूचे जा-जा कर सट्टेबाज़ों की धर-पकड़ कर
रही है. जितने भारी पैमाने पर ये मारा-मारी हो रही है उसके लिए चैनलों का टाइम
बहुत कम पड़ रहा है, इसलिए सटासट न्यूज़ दौड़ाने वाले बुलेटिनों में शहर-शहर और
क़स्बे-क़स्बे से आई पकड़म-पकड़ाई की सांस-फूली ख़बरें यूं ही थोक के भाव ख़रच कर
देनी पड़ रही हैं. लेकिन एक बात है, देश को आज पहली बार पता चला कि सट्टेबाज़ी
तो पूरे देश में कुटीर उद्योग की तरह फैली हुई है और आई.पी.एल. जैसे उसकी
ब्रह्मनाभि है. यह, क्रिकेट की वो (म)नरेगा है जिसने हर किसी को नोट छापने का
बेबाक मौक़ा दिया है.
और फिर, इसी बीच, बिंदू क्या आ धमका कि जैसे आग में घी का काम चल निकला.
पता नहीं बिंदू के दांतों पर किस नमक वाले टूथपेस्ट का कमाल है कि रिफ़्लेक्शन
ने पुलिस वालों की आंखों में कहीं अधिक चौगुनी चमक और मीडिया की कहानियों में
नमक का स्वाद अलग से भर दिया है. सभी चटकारे ले-ले कर, अब तो पूरी फ़िल्म
इंडस्ट्री पर ही गाज गिराने से पहले उस गाज को जम कर तेल पिला रहे हैं. पुलिसियों
और रिपोर्टरों को ख़ूब आनंद आ रहा है, बाकी लोग भी कम नहीं हैं, वो भी जम के मज़ा
सूत रहे हैं.
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ज़बरदस्त कटाक्ष किया है काजल भाई...
जवाब देंहटाएंश्री सन्त तूने कर दिया कमाल ,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: जनता सबक सिखायेगी...
श्री संत तो ऊपरी है इसके नीचे कितने कितने हैं ।
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