वह लंबे
समय बाद अपने पुश्तैनी गांव आया था. गांव आना अब कम ही होता है उसका. मां रही
नहीं पिता अकेले रहते हैं गांव में. वही अब खेती-बाड़ी देखते हैं.
सर्दी
की धूप अच्छी खिली हुई थी. आज घर में चहल पहल थी. कई रिश्तेदार इक्ट्ठा हुए
थे. बातों के साथ-साथ, रसोई से बर्तनों की आवाजें आ रही थीं. आंगन में, पिता के
साथ चारपाई पर बैठा वह अपनी बेटी को भाग-भाग कर काम करते देख रहा था. आज उसकी इसी
बेटी की सगाई का दिन था. ‘देखते ही देखते तेइस साल कैसे उड़ गए पता ही न चला. इसका
जन्म, अभी कल की सी ही बात लगती है.’-उसने पिता से कहा.
‘और ज़िंदगी
के जो बाकी कुछ साल बचे हैं वे भी ठीक यूं ही मुट्ठी का रेत हो रहे हैं.’-उसके पिता
ने हुक्के का एक और कश लेते हुए धीरे से कहा.
दोनों
चुप थे पर उनके बीच बात अब भी हो रही थी.
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nice
जवाब देंहटाएंचुप्पी के बीच होती बातें ...........बहुत कुछ कह सुन लेती हैं । अच्छी कहानी है
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