वह
एक आम लड़की थी. अपनी सीधी-सादी ज़िंदगी चुपचाप जी रही थी. बिना किसी ख़ास
शिकायत या उम्मीद के. हालांकि उसे इस बात का एहसास था कि उसके पास सोशल सर्कल
नहीं है. पर उसने बचपन से ही, इस बारे में न कभी कोई ख़ास कोशिश की, न ही कभी
परवाह. दूसरों की बातों से भी उसे कभी कोई ख़ास मतलब नहीं रहा लेकिन हां, पर्सनल
कमेंट उसे अच्छे नहीं लगते थे. या तो, वह उन पर रिएक्ट नहीं करती थी या फिर मुंह
बना कर निकल जाती.
एक
बार कहीं, किसी मॉडल को-ऑर्डिनेटर की नज़र उस पर पड़ी. उसने, उसे रैम्प पर
मॉडलिंग का ऑफर दिया तो पल भर में पूरी ज़िंदगी उसकी ऑंखों के सामने से फ़्लैक
बैक की तरह गुज़र गई. उसने ट्रेनिंग ली. ट्रेनिंग में उसके साथ उसी के जैसी और भी
बहुत सी लड़कियां, पहली बार ट्रेनिंग ले रही थीं. शो हुआ. वह भी रैम्प पर इठला
और इतरा कर चली. कैमरों के फ़्लैश चमकते रहे, तालियां बजीं. शो खत्म हुआ. उसके
पांव ज़मीं पर न थे. उसे कल सुबह के अख़बारों में शो की फ़ोटो और ख़बरों से ग्लैमर
की दुनिया में, एक छोटे शहर से आकर छा जाने वाली लड़की साफ दिखाई दे रही थी. खुशी
के मारे उसे रात भर नींद नहीं आई.
अगली
सुबह के अंग्रेज़ी अख़बार में फ़ैशन शो पर रपट थी ‘फ़ैशन अब केवल खूबसूरत लड़कियों
के लिए ही नहीं है.’ अब कमरे से निकलने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी. वह
कहीं, किसी ऐसी जगह छुप जाना चाहती थी जहां कोई उसे ढूंढ न सके, देख न सके.
00000
बेचारी
जवाब देंहटाएंओह!
जवाब देंहटाएंBahut gahrai hai..
जवाब देंहटाएंNavroj ki shubhkamnaye.
मार्मिक ...
जवाब देंहटाएंऐसा ही होता है ...और क्या कहूं, कुछ तो सोच में बदलाव आया होता .....पर नहीं
जवाब देंहटाएं