एक देश में एक अदालत थी और एक था चोट्टा.
उसी देश से, चोट्टे और अदालत का संवाद:-
अदालत – ‘तुम देश कैसे
चला सकते हो ?’
चोट्टा –
‘मैं क्या करूं, लोग मानते ही नहीं.’
चोट्टा –
‘रूको रूको मैं कानून बदल के लाता हूं.’
अदालत –
‘लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में बदलाव नहीं चलेगा.’
चोट्टा –
‘ठीक है संविधान में ही बदलाव कर देता हूं.’
अदालत – ‘वो तुम कर नहीं
सकते, याद है न भारत का ‘केशवानंद भारती केस’
?’
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