सबके
शादी-व्यवहार में उसने ज़िम्मेदारी सदा निभाई. और अब पत्नी के साथ बैठ, शादी में मिले लिफ़ाफ़े खोलते हुए
उसे बार बार यही ख़्याल आ रहा था कि क्या लिफ़ाफ़ों में से इतने रुपए निकलेंगे कि
उसका कर्ज़ उतर जाए. तभी उन्हें एक मोटा सा लिफ़ाफ़ा दिखाई दिया. उलट-पलट कर देखा,
उस पर किसी का नाम नहीं था. खोल कर देखा तो उसमें काफी रुपए थे.
उन्होंने ध्यान से देखा, रुपयों से भरे ऐसे ही कुछ और अनाम
लिफ़ाफ़े अभी भी खोलने बाक़ी थे.
उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था. उनकी आंखें बस डबडबाई हुईं थीं.
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