दो बच्चे थे. दोनों पक्के अब्बे वाले
दोस्त थे. पहला भौंदू था तो दूसरा कुछ हरामी सा था. जब भी मौक़ा मिलता, दूसरा आते-जाते भौंदू के एक कनटाप
जड़ जाता.
भौंदू तो भौंदू ठहरा, वो
दूसरे को, पिटवाने
की धमकी देकर कान मसलते-मसलते कूं-कां कर यहां-वहां निकल जाता. दूसरा भी खीस
निपोरता और टहल जाता. ये सब हमेशा से ही, यूं ही चला आ रहा था.
एक दिन, दूसरा कहीं से एक जहाज़ और एक बॉम्ब चुरा लाया. फिर वह बॉम्ब, उसी जहाज़ में फ़िट कर दिया. और इस बार उसने वह जहाज़ ही भौंदू की कनपटी पर टिका दिया कि –‘देख अबके ये चला दूंगा’. भौंदू ने दूसरे को झटका दिया -'ठहर, तेरी तो..' और इतना कह कर वह अपने घर के भीतर भागा. उसने गुस्से में अपने बस्ते से एक कॉपी निकाली. उसमें से एक पेज़ फाड़ा और ज़मीन पर बैठ कर उसका एक जहाज़ बनाया. फिर वो जहाज़ लेकर दूसरे के सामने आया और चिल्ला कर बोला- 'गर तूने अपनी माँ का दूध पिया है तो ले अब चला के दिखा, ना तुझे भी नानी याद दिला दी तो.'
अपने लड़ाकू जहाज़ के आगे, उसके हाथ में कागज़ का फड़फड़ाता जहाज देख कर वह भौचक रहा गया. दूसरे को कुछ समझ नहीं आया. वह सिर झटक कर बोला -'भग्ग. भौंदू कहीं का...' और पांव पटक कर वहां से निकल गया.
एक दिन, दूसरा कहीं से एक जहाज़ और एक बॉम्ब चुरा लाया. फिर वह बॉम्ब, उसी जहाज़ में फ़िट कर दिया. और इस बार उसने वह जहाज़ ही भौंदू की कनपटी पर टिका दिया कि –‘देख अबके ये चला दूंगा’. भौंदू ने दूसरे को झटका दिया -'ठहर, तेरी तो..' और इतना कह कर वह अपने घर के भीतर भागा. उसने गुस्से में अपने बस्ते से एक कॉपी निकाली. उसमें से एक पेज़ फाड़ा और ज़मीन पर बैठ कर उसका एक जहाज़ बनाया. फिर वो जहाज़ लेकर दूसरे के सामने आया और चिल्ला कर बोला- 'गर तूने अपनी माँ का दूध पिया है तो ले अब चला के दिखा, ना तुझे भी नानी याद दिला दी तो.'
अपने लड़ाकू जहाज़ के आगे, उसके हाथ में कागज़ का फड़फड़ाता जहाज देख कर वह भौचक रहा गया. दूसरे को कुछ समझ नहीं आया. वह सिर झटक कर बोला -'भग्ग. भौंदू कहीं का...' और पांव पटक कर वहां से निकल गया.
00000
हा हा हा अपना भौंदू भी कागज़ी ज़हाज़ ही उडा रहा है वो भी डीज़ल पेट्रोल सीएनजी को महंगा कर कर के :)
जवाब देंहटाएंआखिर भोंदू को अक्ल आ गयी .....
जवाब देंहटाएंहाहाहा...आनंद आ गया लघु कथा में...
जवाब देंहटाएं....भ से भौंदू,भ से भा...।
जवाब देंहटाएंहा हा हा भग्ग भौंदू कहीं का....
जवाब देंहटाएंस्वाभिमान बड़ा है वोट से .सरकार अपमान के साथ जी सकती है (भौंदू बच्चा है )लेकिन देश गुस्से में है .उसका स्वाभिमान बकाया है .हमारे मनीष तिवारी कहतें हैं -बड़ा अमानवीय व्यवहार है हरामी
जवाब देंहटाएंबच्चे का भौंदू को कभी भी मार जाता है .हम इसकी निंदा करते है .विदेश मंत्री कहतें हैं -हम बात ही तो कर सकते हैं और क्या कर सकतें हैं .हरामी बच्चा है ही हरामी .जारज संतान है हिन्दुस्तान की
.इसके बाप का अता पता नहीं है।बेहतरीन तंज है वैसे भौंदू अब कह रहा है आगे से मेरे गाल पे मारेगा ,मैं झट दूसरा गाल भी आगे कर दूंगा . बापू ने हमें यही सिखाया है .
कम से कम भौंदू ने पलट कर जवाब तो दिया !
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएं:) बहुत बढ़िया भौंदू जी
जवाब देंहटाएं