एक
जंगल था,
स्याह
जंगल.
जंगल
में एक हाथ को दूसरा हाथ दिखाई
नहीं देता था.
उस
जंगल में एक सियार था और एक
था गधा.
गधा
सियार से कहीं अधिक बड़ा
और बलशाली था,
पर
था तो गधा ही इसलिए सियार
ने उसे अपने प्रश्रय में रखा
हुआ था.
सियार
मॉंस खाता और गधा खाता घास.
एक
दिन,
सियार
को घास में भी स्वाद आ गया और
वह घास भी खाने लगा.
यहां
तक कि वह गधे के हिस्से का
भी सारा जंगल खा गया.
गधा
रात को लेटा तो उसने फ़ैसला
किया कि वह सुबह सियार को
ढूंढ कर दुलत्ती मार विदा
कर देगा उस जंगल से.
उस
रात गधा भूखा सोया.

गधा
तो गधा ठहरा,
मान
गया और फिर पेट पर पत्थर रख
सियार के प्रश्रय में हो
लिया,
एक
बार फिर घास उगने की उम्मीद
में.
उस
जंगल में भी घास पॉंच साल में
एक ही बार उगता था.
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