एक स्वामी
जी थे.
एक दिन वे एक बस्ती में गए और लोगों को संबोधित करते हुए बोले,
मैं तुम्हें एक काम दे कर जा रहा हूं, मुझे
इसका मतलब बताना. उसके बाद स्वामी जी ने दीवार पर एक निशान
बनाया और चले गए.
सब अपने-अपने हिसाब से उसका मतलब बताने लगे. किसी ने
कहा कि यह नक्षत्र है तो किसी ने कहा कि तारा है, किसी
ने उसे सूरज कहा तो किसी ने ब्रह्मांड. किसी ने सृष्टि
का आदि तो किसी ने सृष्टि का अंत. और सब बहस करते रहे.
कुछ समय
बाद स्वामी जी लौटे और सब की उपस्थिति में एक बच्चे को बुला कर पूछा कि बेटा
ये क्या है.
बच्चे ने कहा –‘यह एक बिंदु है बाबा.’
स्वामी जी
ने कहा –‘और तुम लोगों ने इतनी सीधी सी बात के क्या क्या मतलब निकाल डाले.
जीवन भी इतना ही सरल है पर तुम हो कि उसे क्लिष्ट बनाए बैठे हो.’
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काश हम बच्चों सी सरल सोच रख सकें ....
जवाब देंहटाएंशायद हमारे प्रयासों में भी कुछ कमी रही हो कहीं...
हटाएंसच!
जवाब देंहटाएंअब लोगों ने सोचा होगा कि स्वामी जी पूछ रहे हैं तो कुछ विशेष होगा।
जवाब देंहटाएंयह बिंदु है बाबा , चल दे तो रेखा बन जाए ,नाच ले तो वृत्त और ठीक पुतली के सामने आन पड़े तो सारा जग अंधियारा कर दे ।
जवाब देंहटाएंसच है, हमने खुद को बहुत जटिल कर लिया है।
जवाब देंहटाएंज्यादा सोच से जटिलता आती है ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : प्यार में दर्द है,