उसे रिटायर
हुए कुछ समय हो गया था. वह और उसके साथ काम करने वाला एक अन्य सहकर्मी, एक ही दिन
रिटायर हुए थे. दोनों ने जवानी से रिटायरमेंट तक के कई साल एक साथ बिताए थे.
दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती थी. रिटायरमेंट के बाद दोनों अलग अलग शहरों में
सेटल हो गए थे.
लंबे समय
बाद आज वह उसे चिट्ठी लिख रहा था – ‘... बेटा-बहू दूसरे शहर में नौकरी करते हैं,
बेटी भी शादी के बाद सुखी है. आशा है, तुम्हारे दोनों बच्चे भी बढ़िया से जी
रहे होंगे. उन्हें आशीर्वाद. और हां, तुमने बाल काले करने बंद किए या नहीं ? यार, मैं तो अभी भी बाल रंग ही लेता हूं. तुम भी हंसोंगे कि क्यों ? वो क्या है कि एक तो इसकी आदत सी ही हो गई है और दूसरे, बिना बाल काले किए
यूं लगता है कि जैसे किसी विधवा औरत का सा जीवन जीने की मज़बूरी हो – सफ़ेद कपड़े
पहनो, बिंदी-टीका-सिंदूर न लगाओ, खिलखिला के न हँसो, यहां-वहां न जाओ बगैहरा
बगैहरा. बाल सफ़ेद क्या हुए कि लोगों को लगने लगता है कि हंयं ये बुढ़उ हंसा क्यों,
देखो तो कैसे कपड़े पहनता है, ये वहां गया क्यों, ये क्यों किया वो क्यों किया,
और भी न जाने क्या क्या बंदिशें भागी-दौड़ी चली आती हैं. ख़ैर, भाभी जी को हम
दोनों की नमस्ते कहना और अपनी लिखना. सस्नेह.’
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रोचक प्रस्तुति .आभार रुखसार-ए-सत्ता ने तुम्हें बीमार किया है . आप भी दें अपना मत सूरज पंचोली दंड के भागी .नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN क्या क़र्ज़ अदा कर पाओगे?
जवाब देंहटाएंव्यंग के साथ ही एक कटु सत्य भी है, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुंदर प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंrecent post : मैनें अपने कल को देखा,
जीवन थमा सा ना रहे , उम्र कोई हो !
जवाब देंहटाएंएक कटु सत्य को बखूबी उकेर दिया
जवाब देंहटाएंbahut sundar kahani. dhanyawad.
जवाब देंहटाएंसब का अपना जीवन जीने का ढंग होता है... बहुत सुन्दर कथा..
जवाब देंहटाएंbehtreen abhivaykti...
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