कुत्ते, बाहर से देखने में भले ही भॉंति भॉंति के लगते हों, पर अंदर से सब
कुत्ते ही होते हैं. एक दम पक्के कुत्ते.
कुत्तो को कुछ भी मिल-बॉंट कर खाने की आदत नहीं होती. पेट कितना भी भरा हो,
मुँह ज़रूर मारते हैं. इसी तरह जहां मौक़ा देखा, टॉंग उठा देते हैं.
कुत्ते बहुत ढीठ होते हैं. उनकी ढिठाई उनकी पूँछ से निकलती है. न उनकी पूँछ
सीधी होती है न ढिठाई जाती है. इनकी पूँछ टॉगों के बीच तभी आती है जब इन्हें अपने
से सवा-सेर मिलता है. इतना ही नहीं, सवासेर आगे तो इसे हिलाते भी सलीके से हैं. पट्टे
की भी आदत होती है इन्हें, जहां किसी ने टुकड़ा डाला उसी के हत्थे चढ़ जाते हैं.
कुत्ते देश भर के हर क्षेत्र में पाए जाते हैं. सड़कों पर, मकानों में, मैदानों
में, पिछवाड़ों में और भी न जाने कहां कहां. कुत्ते हर रंग, शक्ल और सूरत के
होते हैं. काले कुत्तों के तो ठाठ भी अलग होते हैं क्योंकि कुछ पंडिजी टाइप
टोटकेबाज़, अपने-अपने यजमानों को बताते हैं कि जाओ इनकी ख़ास आवभगत करो. यह इनके
लिए बोनस रहता है.
कुत्ते जब बात भी करते हैं तो ऐसा लगता है जैसे भौंक रहे हों. कुत्ते बहुत
कड़े जीव होते हैं, उन्हें कभी किसी ने मुस्कुराते नहीं देखा होता इसीलिए बात-बात
पर भौंकने के साथ-साथ काटने भी दौड़ते हैं. कुत्ते किसी को नहीं बख़्श्ते, सबको
दौ़ड़ा लेते हैं और बहुत दूर तक छोड़ कर आते हैं. दूसरों के इलाक़े में नहीं जाते,
बस अपनी ही गली में शेरपंती करते हैं.
कुत्ते ग़ज़ब के मतलबी होते हैं, उन्हें हड्डी डालो तो मुँह में दबा चलते
बनते हैं. मिल-बॉंट के खाने में विश्वास नहीं रखते, दूसरे को भनक लग जाए तो
गुर्रा कर बंदरों की तरह दॉंत दिखाते हैं. किसी के पल्ले कुछ पड़े न पड़े, रात
रात भर दूर-पार तक आसमान सिर पे भी उठाए रखते हैं.
(डिस्क्लेमर : कुत्तों को किसी ज़िंदा या मृत व्यक्ति के रूप में न
देखा जाए)
00000
कुकुर पुराण
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा कुकुर पुराण :)
जवाब देंहटाएंbut people say pet dogs are loving .
जवाब देंहटाएंआजकल इन्हीं का मौसम चल रहा है.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.