उसे शहर में नौकरी मिली
तो गांव से आकर यहीं बस गया. साथ में काम करने वाली एक लड़की से उसे प्यार हो
गया. दोनों विवाह कर, किराए के मकान में रहने लगे. एक बेटा और बेटी हुए. उनकी
खुशियां चौगुनी हो गईं. धीरे धीरे उनकी दुनिया ही बदल गई. उनकी ज़िंदगी बच्चों
के चारों ओर घूमने लगी. बच्चों की खुशी ही अब उनकी खुशी थी.
उन्होंने एक फ़्लैट
ख़रीदा और बच्चों के कमरे को करीने से सजाया. लोन की किश्तें उतारने के साथ साथ
बच्चों को अच्छे महंगे स्कूलों में दाखिला दिलवाया. उनके लिए बाक़ायदा एक स्टडी
डैस्क बनावा कर दिया जो एक वर्क स्टेशन जैसा था, लाइट और बिजली के प्लग सहित,
ताकि बच्चे लैपटॉप और वीडियो गेम भी वहीं लगा सकें. बच्चों की ज़िद थी कि
कार होनी चाहिए. उन्होंने एक कार भी फ़ाइनेंस करवा ली. छुट्टी वाले दिन बच्चों
को घुमाने ले जाते और रात का खाना भी बाहर ही खाकर लौटते.
बच्चे पढ़ने में होशियार
थे फिर भी दो-एक सब्जेक्ट पढ़ाने ट्यूटर आते. दोनों ही अच्छे नंबरों से पास
हुए और उन्होंने प्रोफ़ेशनल कोर्सों में दाखिला लिया. ट्यूटरों का खर्चा तो बचा
पर वह कॉलेजों की फ़ीस में निपट गया. अच्छा ये हुआ कि बेटे को पढ़ाई के लिए
लोन मिल गया. बेटी ने पास होकर एक मल्टीनेशनल में नौकरी कर ली. एक अच्छा सा रिश्ता
मिला तो दोनों ने अपने प्रॉविडेंड फ़ंड से पैसा निकाल कर बेटी का विवाह कर दिया.
बेटे को भी दूर एक शहर में अच्छी सी नौकरी मिल गई.
एक दिन सुबह जब वह खिड़की
की तरफ पीठ किए अख़बार पढ़ रहा था तो यकायक बरसात होने लगी. उसने आवाज़ दी –‘सुनती
हो, बालकनी से कपड़े उठा लो. बरसात हो रही है.’ वह जल्दी जल्दी बाहर भागी, कपड़े
उठाए और लौटने लगी. तभी उसकी नज़र बालकनी के कोने में गई जहां एक घोंसले में चिड़िया
के दो बच्चे पल रहे थे. पर आज घोंसला खाली था. वह चौंक कर बोली-‘अरे, इतनी बरसात
में ये बच्चे कहां गए.’
इस बीच वह भी खिड़की से
उसी घोंसले को देख रहा था. उसने पत्नी से नज़र चुराते हुए सिर झुका कर फिर
चुपचाप अख़बार पढ़ना शुरू कर दिया.
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वाह... जीवन के एक पहलु का यतार्थ चित्रण ... मजा आ गया काजल जी
जवाब देंहटाएंवाह! कहें कि आह!
जवाब देंहटाएंघौंसला उनके घर की तरह खाली हो चूका था
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