मार्केट एसोसिएशन और RWA
वालों की रेज़ीडेंट वैलफ़ेयर असोसिएशन ने मिलकर एक सत्संग वाले बाबा के स्वागत की योजना
बनाई. फ़ंक्शन में नेता जी को बुलाने का प्लान बना. इस बार वालेंटियरों और आयोजकों
के बिल्ले छाती से छोटे साइज़ के बनवाने की प्रतिज्ञा ली गई. शिकायत आई कि मंच पर कई
छोटे-मोटे कार्यकर्ता भी चढ़ जाते हैं. फ़ैसला हुआ कि अलग-अलग साइज़ के बिल्ले बनवाए
जाएंगे और नेता के साथ मंच पर फ़ोटो उन्हें ही खिंचवाने देंगे जिनके बिल्ले सबसे बड़े
होंगे. छोटे बिल्लों वाले वालेंटियर लोग नाराज़ हो गए तो अनांउस किया कि सभी बिल्ले
एक ही साइज़ के बनेंगे. फिर एक ख़ुफ़िया मीटिंग में दूसरा फ़ैसला हुआ – “सभी बिल्ले
एक ही साइज़ के तो होंगे पर बड़े लोगों को बढ़िया रंग के बिल्ले दिए जाएंगे और छोटे-मोटे
लोगों के लिए घटिया रंग के बिल्ले बंटेंगे. मंच पे बढ़िया बिल्ले वाले ही फ़ोटो खिंचाएंगे.”
जब फ़ोटो खिंचकर आई तो उसमें
सबसे आगे घटिया बिल्ले थे, उनके पीछे बढ़िया बिल्ले थे. बिल्लों के पीछे मार्केट और
RWA के लोग थे जिनके बीच नेता की टोपी भी दिख रही थी. इन सबके पीछे सत्संग वाला बाबा
भी था पर वो किसी को फ़ोटो में दिखाई नहीं दे रहा था.
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