मंगलवार, 29 नवंबर 2011

(लघु कथा) धृतराष्ट्र का साम्राज्य


क नौकरी के चक्कर में गांव से शहर आया था. उसे लगता था कि उसकी पत्नी ग को गंवई मूल्यों के साथ रहना चाहिये. उसे अपने बच्चों घ और ङ का रहन-समझ नहीं आता था. क इसीलिए बच्चों को बीच-बीच में डांटता भी रहता था. पत्नी कभी पति की तरफ हो जाती थी तो कभी बच्चों की साइड ले लेती थी. बच्चों को लगता था कि क धृतराष्ट्र है.

एक दिन उनके यहां ख संजय बनकर आया. उसने चारों को समझाया. क लोन पर एक टेलीविज़न, एक डैस्कटॉप और एक लैपटॉप ले आया. अब उसकी पत्नी टेलीविज़न देखने लगी, वह लैपटॉप पर जुट गया और बच्चे डैस्कटॉप पर. अब उनके घर में कोई किसी से बात नहीं करता.
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1 टिप्पणी:

  1. बहुत ही मनभावन प्रस्तुति । कामना है सर्वदा सृजनरत रहें । मेरे नए पोस्ट पर आपकी आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

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