क दशहरे पर नया-नया शहर आया था. उसने सड़कों के किनारे बड़े-बड़े
रंगीन होर्डिंग लगे देखे. उन पर राष्ट्रीय नेताओं की फ़ोटुओं के आगे उजले कपड़ों में
हाथ बांधे एक सज्जन बने थे. इन होर्डिंगों पर दहहरे, दिवाली, ईद, गुरपूरब और नए साल की शुभकामनाएं लिखी हुई थीं. क बड़ा प्रभावित
हुआ. ख से बोला – ‘वाह कितना भला आदमी है. घर-घर जा कर सबको राम-राम करने के बजाय लिख
कर यहीं टंगवा दी !’
ख – ‘रे भले आदमी, ये प्रापर्टी डीलर यूं अगले इलेक्शन में इन्हीं नेताओं
वाली पार्टी की टिकट पाने की जुगत भिड़ा रहा है.’
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