क अपने बेटे के
बारे में बहुत चिंतित रहता था.
ख – ‘क्या हुआ,
क्यों दु:खी रहते हो?’
क – ‘क्या बताऊं, बेटा कहता है कि वह बड़ा होकर अर्थशास्त्री बनेगा.’
ख – ‘तो इसमें दु:खी
होने की क्या बात है? ये तो अच्छी ही बात है, आजकल अर्थशास्त्र बहुत अच्छा विषय माना
जाता है भई.’
क – ‘बात विषय को
होती तो भी कोई बात थी. वो तो कहता है कि अर्थशास्त्री होने का फ़ायदा ये है कि आप
32 रूपये में घर का खर्च चला सकते हो और, इसी तरह की बहकी-बहकी बातें करके भी बुद्धिजीवी
कहला सकते हो,और तो और रिज़र्व बैंक के गवर्नर बन कर जब चाहो तब ढेरों नोट भी छाप सकते
हो…’
अब सोचने की बारी
ख की थी.
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